Kranti Sutra by Osho Hindi Book Download | क्रांति सूत्र- ओशो मुफ्त हिंदी पुस्तक :
Total pages of ebook : 113
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पुस्तक का विवरण :
Description of Ebook:
समय में जो कुछ भी है वह हम सभी जानते हैं कि सभी मरण धर्मा है हमें मृत्यु की ही एक गति है उसके ही चरणों का वह मापन है जिसमें हम देखते हैं कि समय में दौड़ना मृत्यु होती है और सभी वही दौड़े चले आते हैं सभी को स्वर्ग मिट्ठू के मुंह में दौड़ते हुए देखता हूं और सोचता हूं और बोलता हूं कि ठहरो और सोचो आपके पैर आप को कहां लेकर जा रहे हैं आप उन्हें चला रहे हैं या आप पैरों के मुताबिक चल रहे हैं या फिर आपको पैर ही चला रहे हैं
To Be Continue:
प्रतिदिन ही कोई मृत्यु के मुंह में गिरता है और आप ऐसे खड़े रहते हैं जैसे या दुर्भाग्य उसे उस पर ही गिरेगा कि नहीं गिरेगा तो आप दर्शक बने रहते हैं इसी चीज को सोचने के लिए यदि आपके पास सत्य को देखने के लिए आंखें हैं तो आप उसमें मृत्यु को भी देखे उसमें मृत्यु भी दिखाई देते हैं और आपके साथ भी होने का बच्चों का होना तय है इसलिए वसुधा ही यह होता जा रहा है आप रोज रोज मर ही तो रहे हैं आपने यह कभी भी देखा नहीं है लेकिन इसे अपने जीवन समझ रखा है वह आपकी क्रमिक एक ऋतु समान है हम सब धीरे-धीरे मरते रहते हैं और मरते ही रहेंगे मरण कि यह प्रक्रिया इतनी धीमी और धीमी है कि
To Be Continue:
जब तक कि वह अपनी पूर्णता पूरे तरीके से नहीं पा लेती तब तक कुछ भी विचार की सूक्ष्म दृष्टि नहीं होती है. आप पैरों के मुताबिक चल रहे हैं या फिर आपको पैर ही चला रहे हैं. प्रतिदिन ही कोई मृत्यु के मुंह में गिरता है और आप ऐसे खड़े रहते हैं.. जैसे या दुर्भाग्य उसे उस पर ही गिरेगा कि नहीं गिरेगा तो आप दर्शक बने रहते हैं. इसी चीज को सोचने के लिए यदि आपके पास सत्य को देखने के लिए आंखें हैं. तो आप उसमें मृत्यु को भी देखे उसमें मृत्यु भी दिखाई देते हैं.
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